Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Mar 2021 · 1 min read

दुर्मिल सवैया

112 112 112 112, 112 112 112 112
जिसने तुमको घर जन्म दिया, उसपे अहसान दिखावत हौ।
पितु मातु दुखी घर भूखन में, उनको नहि भोज्य खिलावत हौ।
बनते तुम वीर सुवीर बड़े, अबला पर हाथ उठावत हौ।
कहते खुद बुद्ध प्रबुद्ध सही, फिर क्यों पितु आन मिटावत हौ।

अदम्य

Language: Hindi
297 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
Piyush Goel
*करो योग-व्यायाम, दाल-रोटी नित खाओ (कुंडलिया)*
*करो योग-व्यायाम, दाल-रोटी नित खाओ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*सच्चा दोस्त*
*सच्चा दोस्त*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
एक कहानी लिख डाली.....✍️
एक कहानी लिख डाली.....✍️
singh kunwar sarvendra vikram
#नादान प्रेम
#नादान प्रेम
Radheshyam Khatik
लोकसभा बसंती चोला,
लोकसभा बसंती चोला,
SPK Sachin Lodhi
राह मुझको दिखाना, गर गलत कदम हो मेरा
राह मुझको दिखाना, गर गलत कदम हो मेरा
gurudeenverma198
सम्भव नहीं ...
सम्भव नहीं ...
SURYA PRAKASH SHARMA
"तिलस्मी सफर"
Dr. Kishan tandon kranti
जय श्री राम
जय श्री राम
Indu Singh
सोच
सोच
Dinesh Kumar Gangwar
3131.*पूर्णिका*
3131.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
बाल एवं हास्य कविता : मुर्गा टीवी लाया है।
बाल एवं हास्य कविता : मुर्गा टीवी लाया है।
Rajesh Kumar Arjun
चांदनी रातों में
चांदनी रातों में
Surinder blackpen
ठंड
ठंड
Ranjeet kumar patre
Kya ajeeb baat thi
Kya ajeeb baat thi
shabina. Naaz
..
..
*प्रणय*
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
चवपैया छंद , 30 मात्रा (मापनी मुक्त मात्रिक )
Subhash Singhai
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
surenderpal vaidya
जादू था या तिलिस्म था तेरी निगाह में,
जादू था या तिलिस्म था तेरी निगाह में,
Shweta Soni
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
Neelam Sharma
साँझ- सवेरे  योगी  होकर,  अलख  जगाना  पड़ता  है ।
साँझ- सवेरे योगी होकर, अलख जगाना पड़ता है ।
Ashok deep
मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्य
मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्य
Shashi kala vyas
आप ही बदल गए
आप ही बदल गए
Pratibha Pandey
नया से भी नया
नया से भी नया
Ramswaroop Dinkar
सही कदम
सही कदम
Shashi Mahajan
दिल दिमाग़ के खेल में
दिल दिमाग़ के खेल में
Sonam Puneet Dubey
वैराग्य ने बाहों में अपनी मेरे लिए, दुनिया एक नयी सजाई थी।
वैराग्य ने बाहों में अपनी मेरे लिए, दुनिया एक नयी सजाई थी।
Manisha Manjari
Loading...