दुर्मिल सवैया :- भाग 6 -चितचोर बड़ा बृजभान सखी ॥
दुर्मिल सवैया छंद :– भाग -5
चित चोर बड़ा बृजभान सखी ॥
8 सगण / 4 पद
रचनाकार :–अनुज तिवारी “इंदवार”
॥ 15 ॥
पख मोर सजा सर मस्तक में ।
इक टीक ललाट निठार लिए ।
बल पौरुष से परिपूर्ण बने ।
शिशु वेद परंगत सार लिए ।
स्त्रुति की कर जोड़ नरायण की ।
सब देव खड़े उपहार लिए ।
सुत देवकि पुष्प समर्पित है ।
शुभ अर्पित आशिष धार लिए ।