दुर्मिल सवैया :– चित चोर बड़ा बृजभान सखी – भाग -1 !!
दुर्मिल सवैया :–
चितचोर बड़ा बृजभान सखी !! भाग -1
मात्रा-भार :–
112 -112 -112 -112
112 -112 -112 -112
!! 1 !!
सुन भानु मुडेर चढ़ा अब तो
नव ज्योति उठी पहचान सखी !
सब काग-विहाग उड़े उर के
मन गावत है प्रिय गान सखी !
हिय को हिलकोर गया अब जो
लगता मुझको प्रतिमान सखी !
नित रोज़ सरोज खिले मन में
इक आनद सा अनजान सखी !!
!! 2 !!
सुधि मोहि नहीँ अपने तन की
कुछ आवत ना अब ध्यान सखी !
भयभीत बड़ी विपदा उमड़ी
यह रोग लगे बलवान सखी !
मन मार लियो तन थाम लियो
चित चंचल चाह उड़ान सखी !
प्रभु नाम जपूँ शुभ काम करुं
नहीँ भात मुही जलपान सखी !
!! 3 !!
मनमोहन सा मनमोहक सा
उर में बसगौ मेहमान सखी !
सब श्याम लगै सब श्याम दिखै
सपने करूँ श्याम बखान सखी !
सुन राग मुराद भरी अब तो
कर कौनु उपाय निदान सखी !
कुछ औषधि दे नहिं वैद बुला
जिय मा सुलगै अब प्राण सखी !
कवि :– अनुज तिवारी “इन्दवार”