दुर्मिल सवैया :– चित चोर बड़ा बृजभान सखी – भाग -3
दुर्मिल सवैया :–
चितचोर बड़ा घनश्याम सखी – भाग-3
मात्राभार :–
112 112 112 112
112 112 112 112
जब कंस वधे सब काम सधा
नर नार सभी जयकार कियो !
नर रूप धरे भगवान यहां
जग तारण को अवतार लियो !
जलपान किया प्रभु नें रति का
सब नार अभागन तार दियो !
मन में उमड़े व्यभिचार हरो
भर दो उंजियार हरो तम को !