दुर्मिल सवैया :– चितचोर बड़ा बृजभान सखी !! -भाग -2
दुर्मिल सवैया :– भाग -2
चित चोर बड़ा बृजभान सखी !
मात्राभार :–
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धरुं धीर शरीर अधीर हुआ
मन हार गयो मुसकान सखी !
सिर मोर मुखौट लटें लटकी
बड़ सुन्दर है परिधान सखी !
कर चक्र धरे कमलाकर वो
भुज सौ गज से बलवान सखी !
सब बाल सखा गुणगान करें
जब नाग बनो जलयान सखी !
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छिति में जल में अरु अम्बर में
चहुंओर चला जसगान सखी !
बृज का नंदलाल गुपाल अ है
चितचोर बड़ा बृजभान सखी !!
गिरिधारि कहो मुरलीघर वो
सब नाम जपें भगवान सखी !
धन धान्य अपार भरा बृज में
खुशहाल सभी खलिहान सखी !
कवि :– अनुज तिवारी “इन्दवार”