दुर्मिल सवैया :– चितचोर बड़ा बृजभान सखी- भाग 4
दुर्मिल सवैया छंद :– भाग -4
चित चोर बड़ा बृजभान सखी ॥
112—112—112–112
रचनाकार :– अनुज तिवारी “इंदवार”
॥ 7 ॥
अंधियारि अमावस रात भरी ।
दुविधा सुविधा बिनु जाग उठी ।
जब लाल जनी किलकारि सुनी ।
मनहारि उठी दुखियार उठी ।
सब देव सदैव सहाय बनो ।
इक पीर अधीर गुहार उठी ।
मचलाय उठी मनमोहन को ।
ममता उमड़ी लिपटाय उठी ।