दुर्बल कायर का ही तो बाली आधा वल हर पाता है।
दुर्बल कायर का ही तो बाली आधा वल हर पाता है।
निर्भय निडर आत्मविश्वासी दुर्जन का वध कर पाता है।।
नहीं मिलेंगे कभी राह में अगणित पुष्प कमल दल।
कठिन राह पथरीली होगी चलना हो तो चल।।
सुख को तज कर कष्ट उठाता वही सफल हों पाता है।
चातक पीता स्वाति का जल अपना धर्म निभाए।।
सागर रखता काबू में लहरें कश्ती नहीं दुवाए।
अनुशासन में रहने वाला अपना अस्तित्व बनाता है।।
माझी वही उतरता जल में जो तूफानों से लड़ना जानें।
लक्ष्य बनाकर चलने वाला कभी भला क्या रुकना जाने।।
दुविधा बान जगत में कब अपनी मंज़िल पाता है।
उमेश मेहरा (शिक्षक)
गाडरवारा (एम पी)
9479611152