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12 Sep 2020 · 1 min read

दुम

दुम

अवसर था अपने शहर में
उपमंडल स्तर के आयोजन का
जाने कितने छुटभैये
दुम हिलाते
लगा रहे थे चक्कर
प्रशासनिक अमले के
करने के लिए स्वार्थ-सिद्ध
उन्हें पता है
जो जितनी जोर से
हिलाएगा पूंछ
तभी उसके हिस्से आएगा कुछ
कइयों ने उठाया खतरा
दुम की शहादत तक का
तब कहीं मिला किसी को
मंच-संचालन का अवसर
किसी को मिला
मंच के आस-पास
मंडराने का अवसर
किसी को मिला
मंचासीनों के समक्ष
नतमस्तक होने का अवसर
किसी को मंचासीनों संग
फोटो खिंचवाने का अवसर
भले ही हिलते-हिलते
टेढ़ी हो गई दुम
सदा के लिए

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 399 Views
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