दुमदार दोहे
हरिमन कांटा गुलाब का पैर में दिया चुभोय
चलने की कोशिश करी पर दर्द सहा न जाय
कोई चप्पल ही ला दो।
हर चौराहे पर बिक रहे चाट पकोड़ी और चाय
खाने की इच्छा हो रही और मन भी ललचाय
पर उसका पेट खराब है।
पूड़ी कचोड़ी बंट रही संग सब्जी आलू मटर पनीर
हलवा भी है सूजी का रबड़ी जलेबी और खीर
कोलेस्ट्रॉल भी है और शुगर भी।
घूम घुमा के शाम को जब घर पहुंचे बुद्धू राम
लौकी संग रोटी खाकर भज रहे हरि का नाम
जिंदगी बस तेरी यही कहानी।
वीर कुमार जैन
12 सितंबर 2021