Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jan 2022 · 1 min read

दुबका लिहाफ में पड़ा हुआ (घनाक्षरी)

दुबका लिहाफ में पड़ा हुआ (घनाक्षरी)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
कोई-कोई घर से ही निकला नहीं है अभी
कोई-कोई दुबका लिहाफ में पड़ा हुआ
कोई-कोई ताप रहा हीटर-अँगीठी रखे
शीत लहर के जाल ही में जकड़ा हुआ
कोई-कोई शॉल इस तरह लपेटे हुए
राह पर मुर्दा हो जैसे अकड़ा हुआ
मौसम का रंग बदरंग हुआ इस भाँति
मानो काल-पाश जगत को पकड़ा हुआ
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता: रवि प्रकाश,बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.) मो.9997615451

368 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
"एहसासों के दामन में तुम्हारी यादों की लाश पड़ी है,
Aman Kumar Holy
जश्न आजादी का ....!!!
जश्न आजादी का ....!!!
Kanchan Khanna
परफेक्ट बनने के लिए सबसे पहले खुद में झांकना पड़ता है, स्वयं
परफेक्ट बनने के लिए सबसे पहले खुद में झांकना पड़ता है, स्वयं
Seema gupta,Alwar
करवाचौथ (कुंडलिया)
करवाचौथ (कुंडलिया)
गुमनाम 'बाबा'
ମୁଁ ତୁମକୁ ଭଲପାଏ
ମୁଁ ତୁମକୁ ଭଲପାଏ
Otteri Selvakumar
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें तब बातें प्रतिक्रिया की ह
पहले देखें, सोचें,पढ़ें और मनन करें तब बातें प्रतिक्रिया की ह
DrLakshman Jha Parimal
जो बीत गया उसे जाने दो
जो बीत गया उसे जाने दो
अनूप अम्बर
एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त
एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त
कवि रमेशराज
भाव तब होता प्रखर है
भाव तब होता प्रखर है
Dr. Meenakshi Sharma
माँ भारती की पुकार
माँ भारती की पुकार
लक्ष्मी सिंह
हार
हार
पूर्वार्थ
पिता का पेंसन
पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)*
*मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)*
Ravi Prakash
*दिल का आदाब ले जाना*
*दिल का आदाब ले जाना*
sudhir kumar
1-अश्म पर यह तेरा नाम मैंने लिखा2- अश्म पर मेरा यह नाम तुमने लिखा (दो गीत) राधिका उवाच एवं कृष्ण उवाच
1-अश्म पर यह तेरा नाम मैंने लिखा2- अश्म पर मेरा यह नाम तुमने लिखा (दो गीत) राधिका उवाच एवं कृष्ण उवाच
Pt. Brajesh Kumar Nayak
"समझाइश "
Yogendra Chaturwedi
ज़माने   को   समझ   बैठा,  बड़ा   ही  खूबसूरत है,
ज़माने को समझ बैठा, बड़ा ही खूबसूरत है,
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
ये राम कृष्ण की जमीं, ये बुद्ध का मेरा वतन।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरी फितरत तो देख
मेरी फितरत तो देख
VINOD CHAUHAN
याद अमानत बन गयी, लफ्ज़  हुए  लाचार ।
याद अमानत बन गयी, लफ्ज़ हुए लाचार ।
sushil sarna
■ स्वाद के छह रसों में एक रस
■ स्वाद के छह रसों में एक रस "कड़वा" भी है। जिसे सहज स्वीकारा
*प्रणय प्रभात*
★गहने ★
★गहने ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Kumud Srivastava
युग परिवर्तन
युग परिवर्तन
आनन्द मिश्र
मुझसे गुस्सा होकर
मुझसे गुस्सा होकर
Mr.Aksharjeet
आजादी
आजादी
नूरफातिमा खातून नूरी
किस तरह से गुज़र पाएँगी
किस तरह से गुज़र पाएँगी
हिमांशु Kulshrestha
काले काले बादल आयें
काले काले बादल आयें
Chunnu Lal Gupta
एक पल में जिंदगी तू क्या से क्या बना दिया।
एक पल में जिंदगी तू क्या से क्या बना दिया।
Phool gufran
2833. *पूर्णिका*
2833. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...