दुपदी
प्यार चाहते सब , नफरत का क्या काम
नफरत चंद सिरफिरों की बनी बपौती है।
त्रिभवन कौल
——————————————-
ख़ामोशी की होती है अपनी ही ज़ुबान
होंठ हिलते नहीं पर बात हो जाती है।
त्रिभवन कौल
प्यार चाहते सब , नफरत का क्या काम
नफरत चंद सिरफिरों की बनी बपौती है।
त्रिभवन कौल
——————————————-
ख़ामोशी की होती है अपनी ही ज़ुबान
होंठ हिलते नहीं पर बात हो जाती है।
त्रिभवन कौल