दुनिया में याद कीजिए…!
भूले बिसरे लोग पुराने,
रुख यहांँ भी कीजिए,
दलदल में फंँसे क्यों हो,
निकल बाहर आ मिल लीजिए ।
वर्षों पुराना रिश्ता अपना,
रिश्तों की कदर कीजिए,
लौट आ वक्त शेष है कम,
पल भर तोे संग गुजारिये ।
रह जाओगे अपने गुमान में,
खाली हाथ ही जाओगे,
कोई कैसे जीता है रुसवा होकर,
निकट हृदय के आकर झांँकिये ।
हार गए अब नीरस दुनिया में,
सोने से पहले तनिक मिल लीजिए,
हिसाब-किताब दुनिया का मेला है ,
कोई कैसे जाने कौन-कितना अकेला है ।
चेहरा अपना इधर तो मोड़िये,
इतना इतराना अपनों से छोड़िए,
कुछ पल की जिंदगी में है जीना,
दुनिया में आए हैं तो याद कीजिए ।
#बुद्ध प्रकाश ;
#मौदहा ,हमीरपुर।