दुनिया झमेला
दुनिया क्या यारो रिश्तों का मेला।
हर कोई लेकिन यहां है अकेला।
महंगी है चीजे और जेबे खाली
नोट बढ़ी पर भरता न थैला।।
भाई भाई को प्यारा नहीं है।
एकभवन में गुजारा नही है।
सोपत की रोटी किसको मोहस्सर।
किस्मत सभी की खोटी अठहानी
अब रुपया चलन में ,चले न चवनी।
कितनो कमाई परे नाही पूरा ,
सवा मन गेहूं लगे एक कुरा।
मुफ्त में मिलता नही एक ढेला …
दुनिया क्या यारो रिश्तों का मेला।
हर कोई लेकिन यहां है अकेला।
तीनो पहरिया के हिस्सा लागल बा।
बचपन जवानी बुढ़ापा बटल। बा।
तीन ए पहर के बा खेल।
रह जाई ई सबकर देहिया अकेला।
फिर रही नाही कूछो झमेला।
दुनिया क्या यारो रिश्तों का मेला।
हर कोई लेकिन यहां है अकेला।