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12 Dec 2022 · 1 min read

दुनिया झमेला

दुनिया क्या यारो रिश्तों का मेला।
हर कोई लेकिन यहां है अकेला।
महंगी है चीजे और जेबे खाली
नोट बढ़ी पर भरता न थैला।।

भाई भाई को प्यारा नहीं है।
एकभवन में गुजारा नही है।
सोपत की रोटी किसको मोहस्सर।

किस्मत सभी की खोटी अठहानी
अब रुपया चलन में ,चले न चवनी।
कितनो कमाई परे नाही पूरा ,
सवा मन गेहूं लगे एक कुरा।
मुफ्त में मिलता नही एक ढेला …
दुनिया क्या यारो रिश्तों का मेला।
हर कोई लेकिन यहां है अकेला।

तीनो पहरिया के हिस्सा लागल बा।
बचपन जवानी बुढ़ापा बटल। बा।
तीन ए पहर के बा खेल।
रह जाई ई सबकर देहिया अकेला।
फिर रही नाही कूछो झमेला।

दुनिया क्या यारो रिश्तों का मेला।
हर कोई लेकिन यहां है अकेला।

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