दुनिया खेले खेल
दुनिया खेल खेले यूँ जैसे कि मदारी है
इस जहाँ में लगता है हर कोई जुआरी है
खुशबुओं की आहट है बुलबुलों की चाहत भी
खिल गया गुल देखो हवाओं में खुमारी है
गा रहा मौसम भी , सब परिंदे गाते हैं
महके महके फूलों की हर तरफ क्यारी है
साथ में बहारों के आई रुत न्यारी है
है कहाँ से आई ये बहारों की सवारी है
दूर हो गया सनम मेरा दर्द ये तो भारी है
आज फिर हवाओं मे एक बेक़रारी है