दुनिया कि दस्तूर निराला
****दुनिया का दस्तूर निराला****
***************************
दुनिया का यारों बहुत दस्तूर निराला
कहीं छाया अंधियारा कहीं उजाला
जो भी जिसे चाहे वो मिलता नहीं हैं
जिसे जो भी मिले वो चाहता नहीं हैं
प्रीत की रीत का रंग है भी निराला
कहीं छाया अंधियारा कहीं उजाला
रिश्ते की उलझन में फंसता ही जाए
सुलझाने की तरकीब नजर ना आए
खुद.गिरते बार किसी ने ना संभाला
कहीं छाया अंधियारा कहीं उजाला
रंक – निरोगी ,धन माया को है तरसे
रोगी – धनाढ्य, निरोगी काया तरसे
धन-माया ने आँख में बिछाया जाला
कहीं छाया अंधियारा कहीं उजाला
धूप जो निकले छाया को हैं ढूँढते
छाँव जो मिलती तो दोपहरी तरसते
आँखमिचौली भरा खेल बड़ा निराला
कहीं छाया अंधियारा कहीं उजाला
पल में रंक तो कभी राजा बन जाए
रंग बदलती. जिंदगी बाजा बजाए
मुँह में आया भी छिन जाए निवाला
कहीं छाया अंधियारा कहीं उजाला
दुनिया का यारों बहुत दस्तूर निराला
कहीं छाया अंधियारा कहीं उजाला
***************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)