दुनियादारी सीख गये
दुनियादारी सीख गये है हम ज़माने से
फ़ुरसत नहीं जिसे हमें आजमाने से ।
बात बात पर रूला देती है ये जिंदगी
हंसना खुद ही पड़ता है हमें बहाने से।
कितनी बार हम खुद को संभाले ज़रा
जिंदगी बाज़ नहीं आती हमें गिराने से।
अब समझौते करने की आदत हो गई
बात करें जिंदगी फिर भी ये उलाहने से।
तल्खियां सिखा गयी, लोगों को परखना
यहां बात नहीं बनती,सर झुकाने से।
सुरिंदर कौर