दुनियादारी छोड़
दुनियादारी का दिया,.. दिल से बोझ उतार !
अब हम अपनी जिंदगी, हँसकर रहे गुजार !!
सीधा सा है मार्ग जब ,.नहीं कहीं भी जोड़
इसका उसका और का, दुनियादारी छोड़ !!
रमेश शर्मा
दुनियादारी का दिया,.. दिल से बोझ उतार !
अब हम अपनी जिंदगी, हँसकर रहे गुजार !!
सीधा सा है मार्ग जब ,.नहीं कहीं भी जोड़
इसका उसका और का, दुनियादारी छोड़ !!
रमेश शर्मा