दुनियां में भी इॅंसान ने,क्या क्या बना दिया।
गज़ल
काफ़िया- आ स्वर की बंदिश
रद़ीफ- दिया
मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221……2121…….1221……212
दुनियां में भी इॅंसान ने,क्या क्या बना दिया।
पत्थर को देवता भी, बनाकर दिखा दिया।
इंसान ने इॅंसान को कैसा सिला दिया।
अस्पृश्य कह इंसान को नीचा बना दिया।
पंचों ने दर्द सुनके दिया फैसला मुझे,
मेरे ही कत्लेआम का फतवा सुना दिया।
वो काल था विमान कहें क्रूर चाल थी,
घटना ने देश भर में ही सबको हिला दिया।
जनता मरे तो मरती रहे है किसे फ़िकर,
शत शत नमन चुनाव कमीशन बचा दिया।
मज़दूर औ’र किसान की सुनते सदा रहो,
सरकार से नाराज़ तो झाड़ू लगा दिया।
करता रहा हूॅं प्यार जिसे दिल से दोस्तो,
प्रेमी के दिल में प्यार का दीपक जला दिया।
…….✍️ सत्य कुमार प्रेमी