सपने हो जाएंगे साकार
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
आप हर पल हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे
सन्तुलित मन के समान कोई तप नहीं है, और सन्तुष्टि के समान कोई
रमेशराज के 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में 7 बालगीत
नही आवड़ै
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
जो उसने दर्द झेला जानता है।
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,
सितारों से सजी संवरी इक आशियाना खरीदा है,
संवेदना मनुष्यता की जान है
जिनके जानें से जाती थी जान भी मैंने उनका जाना भी देखा है अब
कुछ हकीकत कुछ फसाना और कुछ दुश्वारियां।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
इक इक करके सारे पर कुतर डाले
समय बीतते तनिक देर नहीं लगता!