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23 Jan 2019 · 1 min read

दुख

दुख के आँचल में छिपा, सभी सुखों का सार।
सघन सजल सब भावना, है जिसका आधार।।

ऊपर है भगवान तो, नीचे दुख का ढेर।
चमके सूरज नित गगन, धरती पर अंधेर।।

आँख मिचौनी खेलता,जब सुख-दुख का खेल।
अपने वश में कब रहा, इस जीवन का रेल।।

जो हँसता जितना अधिक, छुपा रहा है पीर।
सीने में सैलाब है, भरा आँख में नीर।।

रहना चाहें खुश सभी ,रहना नहीं उदास।
खुशियाँ बाटें जो सदा ,खुशी उसी के पास।।

-लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
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