गीतिका
अहीर छंद- 11 मात्रा, अंत 221/ 121
आया दुख का मोड़।
दिया सभी ने छोड़।।1
मज़बूरी का मेल,
गठबंधन बेजोड़।।2
हो भगवा पर जीत,
खोज रहे दल तोड़।।3
आपस में कर युद्ध,
रहे खोपड़ी फोड़।।4
देख सुनिश्चित हार,
उठती उदर मरोड़।।5
मार मार कर आँख,
नेता बने हँसोड़।।6
विघटन सबका शत्रु,
आया यही निचोड़।।7
डाॅ बिपिन पाण्डेय