दुखद होती विदाई
आँखो में आँसू
भर देती है विदाई
अपनों से दूर
देती है विदाई
पालते पोसते
बेटी को
रोते हुए कर
देते हैं विदा
माता पिता से
जातें हैं दूर
बच्चे
दिल पर
पत्थर रख
देते हैं विदाई
उन्हें
होते हैं
देश की
खातिर
शहीद जवान
होती बहुत
मुश्किल विदाई
पत्नी, माँ,
बहन के लिए
क्यों बना तू
शब्द क्रूर “विदाई”
दुःख, विछोह
रूलाना ही है
बस “संतोष ”
काम इसका
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल