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5 May 2018 · 1 min read

दुआ चाहिए

या ख़ुदा बस यही इक दुआ चाहिए।
यार मेरा मुझे बावफ़ा चाहिए। ।

ज़िन्दगी आज तेरा पता चाहिए।
मंज़िलों का मुझे रास्ता चाहिए। ।

रात दिन मैं निहारूं जिसे प्यार से।
सामने एक वो चेहरा चाहिए। ।

रोज़ मेरी वही है पुरानी तड़प।
दर्द अब एक मुझको नया चाहिए। ।

क़िस्मतों की ज़मीं बस मिले प्यार से।
ना फ़लक का मुझे तोहफ़ा चाहिए। ।

आसमां से ज़मीं मैं मिला दूँ यहाँ।
जख़्म को मेरे थोड़ी हवा चाहिए। ।

गलतियाँ कर रहा सोचता है मगर।
आदमी क्या यहाँ देवता चाहिए। ।

—— विनोद शर्मा “सागर”

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