दुआ चाहिए
या ख़ुदा बस यही इक दुआ चाहिए।
यार मेरा मुझे बावफ़ा चाहिए। ।
ज़िन्दगी आज तेरा पता चाहिए।
मंज़िलों का मुझे रास्ता चाहिए। ।
रात दिन मैं निहारूं जिसे प्यार से।
सामने एक वो चेहरा चाहिए। ।
रोज़ मेरी वही है पुरानी तड़प।
दर्द अब एक मुझको नया चाहिए। ।
क़िस्मतों की ज़मीं बस मिले प्यार से।
ना फ़लक का मुझे तोहफ़ा चाहिए। ।
आसमां से ज़मीं मैं मिला दूँ यहाँ।
जख़्म को मेरे थोड़ी हवा चाहिए। ।
गलतियाँ कर रहा सोचता है मगर।
आदमी क्या यहाँ देवता चाहिए। ।
—— विनोद शर्मा “सागर”