Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2021 · 1 min read

बड़ी मुद्दत इबादत से पाई है (कविता)

बड़ी मुद्दत इबादत से पाई है
लम्हों की खूश्बू खुशनुमा मंज़र को
छोटा घर है हृदय बडा तुम्हे कहाँ समाऊ
दिल की धरकन मे हमेशा रहती हो तुम
तेरे लिऐ ताजमहल कभी न बनाऊ
आशियाना दे दूं असहाय बिलखते लोगो को
दुआओ से लबी उम्र हो तेरी खुदा से मागू

साथ रहू मे सदा तेरा
बिन सिंदूर मांग देख ना पाऊ
हमसे करती हो प्यार बहुत
एक पल रोते हुऐ देख न पाऊ
दुआओ से लबी उम्र हो तेरी खुदा से मागू

मै बन जाऊ अभिनव जयदेव
तुम शुशीला बन जाओ
वो प्रेम करते थे जितना
मै भी तुम्हे उतना ही चाहू
प्रेम से अगर देव दुआ दिया मुझको
दुआओ से लबी उम्र हो तेरी खुदा से मागू

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Hindi
6 Likes · 294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*How to handle Life*
*How to handle Life*
Poonam Matia
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
Dr. Narendra Valmiki
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
क्या क्या बताए कितने सितम किए तुमने
Kumar lalit
दो शब्द
दो शब्द
Ravi Prakash
होली (विरह)
होली (विरह)
लक्ष्मी सिंह
हिम्मत और महब्बत एक दूसरे की ताक़त है
हिम्मत और महब्बत एक दूसरे की ताक़त है
SADEEM NAAZMOIN
शतरंज
शतरंज
भवेश
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
था जब सच्चा मीडिया,
था जब सच्चा मीडिया,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
खंडकाव्य
खंडकाव्य
Suryakant Dwivedi
शराफ़त के दायरों की
शराफ़त के दायरों की
Dr fauzia Naseem shad
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
यह अपना रिश्ता कभी होगा नहीं
यह अपना रिश्ता कभी होगा नहीं
gurudeenverma198
तुम रंगदारी से भले ही,
तुम रंगदारी से भले ही,
Dr. Man Mohan Krishna
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
Kanchan Khanna
अकेला
अकेला
Vansh Agarwal
क्रोध
क्रोध
ओंकार मिश्र
"कलाकार"
Dr. Kishan tandon kranti
कभी बारिश में जो भींगी बहुत थी
कभी बारिश में जो भींगी बहुत थी
Shweta Soni
विकटता और मित्रता
विकटता और मित्रता
Astuti Kumari
लोकतंत्र बस चीख रहा है
लोकतंत्र बस चीख रहा है
अनिल कुमार निश्छल
दिन ढले तो ढले
दिन ढले तो ढले
Dr.Pratibha Prakash
जो हुक्म देता है वो इल्तिजा भी करता है
जो हुक्म देता है वो इल्तिजा भी करता है
Rituraj shivem verma
किसी मूर्ख को
किसी मूर्ख को
*प्रणय प्रभात*
मन की बात
मन की बात
पूर्वार्थ
हम कितने आँसू पीते हैं।
हम कितने आँसू पीते हैं।
Anil Mishra Prahari
उजियार
उजियार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
प्रेम : तेरे तालाश में....!
प्रेम : तेरे तालाश में....!
VEDANTA PATEL
अभ्यर्थी हूँ
अभ्यर्थी हूँ
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Loading...