दुःख उदासी पीड़ा
देख- देख के रोना क्या,
जिंदगी में पाना और खोना क्या ,
आज हमारा था जो ,कल हुआ बेगाना .
दुःख ,उदासी पीड़ा मायूसी में क्या जीना ।
उलझनों और विषादों में रहना क्यों है भाई
दूसरों के विवादों में पड़ना क्यों है भाई ,
अपनी डफली अपना राग, यही तो हमको गाना .
दुःख, उदासी पीड़ा ……..
अपनी बराबरी मत करना ,बड़ों के व्यवहार से
जीतना है तो दिल जीत लो, अपने प्यार से ,
कुछ पाने के लिए गलत कदम न उठाना .
दुःख उदासी पीड़ा ……..
जज्बात में आकर कुछ गलत कर लेते हैं,
बेवज़ह हम , मुसीबत मोल लेते हैं,
मान मेरा ये कहना , ऐसा कभी न करना .
दुःख उदासी पीड़ा ……..
करो कर्म जी जान से,
मत घबराना तू मान-अपमान से,
जो बीत गई सो बात गई, उसपर क्या पछताना .
दुःख उदासी पीड़ा मायूसी में क्या जीना ।
निरंतर आगे बढ़ते रहिये (युवाओं को समर्पित) ?