Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2023 · 1 min read

दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं……..

दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं……..
बस इस बात का ग़म है के.
लोग पूछगे तो क्या कहेंगे हम …..shabinaZ

368 Views
Books from shabina. Naaz
View all

You may also like these posts

कुछ असली कुछ नकली
कुछ असली कुछ नकली
Sanjay ' शून्य'
दृष्टि
दृष्टि
Ajay Mishra
जगत पराया प्रीत पराई
जगत पराया प्रीत पराई
VINOD CHAUHAN
सिर्फ तुम्हारे हो जाएँ
सिर्फ तुम्हारे हो जाएँ
Sagar Yadav Zakhmi
जब तू मिलती है
जब तू मिलती है
gurudeenverma198
■ स्लो-गन बोले तो धीमी बंदूक। 😊
■ स्लो-गन बोले तो धीमी बंदूक। 😊
*प्रणय*
कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
Dushyant Kumar
अर्जक
अर्जक
Mahender Singh
हे पवन कुमार
हे पवन कुमार
Uttirna Dhar
ଏହା ସତ୍ୟ ଅଟେ
ଏହା ସତ୍ୟ ଅଟେ
Otteri Selvakumar
जामुन
जामुन
शेखर सिंह
" हकीकत "
Dr. Kishan tandon kranti
लड़कपन
लड़कपन
Dr.Archannaa Mishraa
सभी देखेंगे तेरी इक हॅंसी को।
सभी देखेंगे तेरी इक हॅंसी को।
सत्य कुमार प्रेमी
तुमको ही चुनना होगा
तुमको ही चुनना होगा
rubichetanshukla 781
डर लगता है
डर लगता है
Dr.Pratibha Prakash
लिखने के लिए ज़रूरी था
लिखने के लिए ज़रूरी था
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
3317.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3317.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
भारत अध्यात्म का विज्ञान
भारत अध्यात्म का विज्ञान
Rj Anand Prajapati
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा हिंदुस्तान
सबसे प्यारा सबसे न्यारा मेरा हिंदुस्तान
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आप थे साथ वरना खो जाते
आप थे साथ वरना खो जाते
Dr Archana Gupta
दिनकर/सूर्य
दिनकर/सूर्य
Vedha Singh
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
वही जो इश्क के अल्फाज़ ना समझ पाया
वही जो इश्क के अल्फाज़ ना समझ पाया
Shweta Soni
जगत
जगत
Santosh Shrivastava
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
मैं जीना सकूंगा कभी उनके बिन
कृष्णकांत गुर्जर
योग ही स्वस्थ जीवन का योग है
योग ही स्वस्थ जीवन का योग है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
दीवानगी
दीवानगी
Shyam Sundar Subramanian
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
ऐसे रूठे हमसे कि कभी फिर मुड़कर भी नहीं देखा,
ऐसे रूठे हमसे कि कभी फिर मुड़कर भी नहीं देखा,
Kanchan verma
Loading...