दीवाली
अपनो का इंतज़ार करते,
बूढ़े माँ बाबा
हर दीवाली जलाते हैं दिया
उम्मीदों का
कि लौट आएं शायद
एक दिन
शहर की चकाचौंध में भटके,
उनके अपने..
अपनो का इंतज़ार करते,
बूढ़े माँ बाबा
हर दीवाली जलाते हैं दिया
उम्मीदों का
कि लौट आएं शायद
एक दिन
शहर की चकाचौंध में भटके,
उनके अपने..