दीवाली
“असली दीवाली ”
अब आ रही है महारानी….
मैंने तुझसे कहा था ना दीवाली है सफाई करवाउगी .. किचन बेडरूम और ये सभी दीवारों की ….
अलग से पैसे देने की बात भी कही थी और तुमने हामी भी भरी थी अगर नही करना था तो साफ बता देती मै किसी और से करवा लेती ….
निशा अपनी कामवाली सीता पर गुस्सा होते बोली जोकि सुबह 8 बजे का कहकर 12 बजे आई थी …
दीदी आप चिंता ना करो मे झटपट सभी काम कर दूंगी आप नाराज मत होइए और किसी और से काम मत करवाइगा …वो छोटू की तबीयत अक्सर खराब हो जाती है बुखार चढता उतरता रहता है एक दुकान की सफाई का काम मिला पूरे दो सौ रु मे बस वहीं करने मे ….दीदी बताइए कया करना है आँसुओं को छिपाते सीता बोली..
हे भगवान …ये अपने बेटे को डाक्टर से दिखाने को कमरतोड़ मेहनत कर रही हैं और मे ये सफाई दीवाली …धूल मिट्टी पर पडी हूं एक मां ये हे जो अपनी परवाह किए बिना अपने परिवार और बच्चों के लिए मेहनत से नही हिचकिचाती और एक मे सफाई पर…
कुछ सोच निशा ने सीता का हाथ पकडा और कहा-चल मेरे साथ ….तुरंत गाडी से उसकी झोपड़ी तक पहुंची देखा तो सचमुच सीता के बेटे को बुखार था तुरंत अपने फैमिली डाक्टर के पास लेकर गयी डाक्टर ने कुछ दवाएं और टेस्ट लिखे दवाएं निशा कैमिस्ट से ले आई और पास की लैब से सभी टेस्ट करवाने खुद गई ….फिर सीता को बाजार से मिठाई और कुछ पटाखे दिलाकर उसकी झोपड़ी तक छोडने गई …और जब वापस चलने को हुई तो सीता बोली-दीदी वो सफाई ….
निशा-वो तो हो गई सीता …असल मे धूल और मिट्टी साफ करने की जरुरत हमें अपने मन से करने की होती है ना की घर की दीवारों की …असली सफाई आज से मैने करनी शुरू कर दी मन की …और अब सचमुच मनाएंगे हम सभी असली दीवाली …
कहकर खुशी से संतोष लिए चलती बनी…
सीता और उसका परिवार निशा को लाखों दुआएं दे रहे थे..