-दीवाली
दीवाली पर्व को मैं द्वार तुम्हारे*
धन, हर्ष, व रंगरोचन लायी हूँ|
अनुयायी धर्म हिन्दुवास हैं मेरा,
सांस्कृतिक प्रदायी प्रकरण ही हूँ ||
उद्गम न्यारे हैं इस धरा पर मेरा,,
निवास रंग-रोंगन गृह किया सवेरा |
मैं मलयानिल मैं सुक्ष्म जीवों का,
पटाखे की गंध से नाशक हूँ मैं शेरा ||
राजाराम के वनवास से लौटकर,
अयोध्याविसियों के हर्ष की पर्व हूँ |
कार्तिक मास की सघन काली ,,
अमावस को रोशनी से जगा उठी हूँ ||
मैं अहंकार, पाप का विनाश कर,
मैं पाप पर धर्म की जीत दिलाती हूँ |
वैद्यराज व यमराज के लिए दीप,,
प्रज्ज्वलित आरोग्य,दीर्घायु लायी हूँ ||
*दीवाली पर्व को मैं.. .. ………
रोग, अकाल मृत्यु के भय की,
मैं दीवाली पर अनेक अर्चनाकारी हूँ|
कुबेर निमित्त दीपदान कराकर,
मैं कुबेर से नरक का भय नाशिनी हूँ ||
घर – परिवार में खुशहाली लाकर,
मैं धन-समृद्धि लक्ष्मी रूप निहारणी हूँ|
विघ्न विनाशक मंगल हरणकारी,
की पूजा कराकर मैं ही मंगलकारणी हूँ ||
इक रात्रि को दीपों का प्रकाश से,
अंधेरे में प्रकाश लाने वाली दीवाली हूँ |
मन, वाणी, कर्म व साधना सत्य ,,
कराकर मैं घट-घट रूप निहारणी हूँ ||
मैं महानिशीय काल महाकाल रात्रि,
लक्ष्मी पूजा जो करते द्वार उनके आयी हूँ |
*दीवाली पर्व को मैं…. … .. .. .. ..
महालक्ष्मी पूजन में गणपति, शारदा,
महालक्ष्मी साथ विराजित प्रसाद चढत |
श्री गणेश, महालक्ष्मी, ग्रह सभी देव,
सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य व धन वृद्धि फलत ||
कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा मैं,
गोवर्धन पूजा कराकर सुखदायी हूँ |
गोवर्धन पूजा व पशुधन की पूजा ,
कराकर मैं सुख समृद्धि लाती हूँ | |
मिट्टी का दीप जलाकर वसुधा,
को प्रसन्न कर मैं लक्ष्मी आती हूँ |
मिट्टी के दीप से देवताओं, नवादि
गृहों की पूजा कराकर मनाती हू | |
विश्वकर्मा जी के निमित्त दीपदान,
कराकर टूट-फूट से घर बचाती हूँ |
चित्रगुप्तजी की दीप पूजाकराके ,
आय, धन की प्राप्ति लिखायी हूँ ||
*दीवाली पर्व को मैं… … ………… .
मैं दीवाली का यह पर्व लाकर तुम्हें,
अनेक पुजाओ का पाठ सिखाती हूँ |
भाईदूज पर बहना को यमुना तट पर दीप-,
दान कर दीर्घजीवन कामना कराती हूँ| |
भाई का सुख दीर्घकाल रहें इसलिए ,
बहना से भाई के लिए मन्नत करवाती हूँ |
मैं हर्षोल्लास का संचरण कराकर,
प्रत्येक घर मैं दीवाली का सुख लाती हू ||
मैं शरद ऋतुओं के आगमन में दीप,
जलवाकर सुखमय कामना करवाती हूँ |
अद्दम अगोचर-दृष्टि त्रिलोचन से भविष्य,
कामना करना मैं तेरा रणजीत सेवक हूँ ||
मैं धनकारी शुभ,परम् निवासिनी महालक्ष्मी,
मंगल कामना लेकें दीवाली लायी हूँ |
दीवाली पर्व को मैं द्वार तुम्हारे
धन, हर्ष, व रंगरोचन लायी हूँ|
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रणजीत सिंह “रणदेव” चारण,
मूण्डकोशियाँराजसमन्द
7300174927