दीवाली की रात सुहानी
रात सुहानी दीवाली की आई है
खुशियों के उपहार साथ में लाई है
कहीं कहीं माटी के दीप जले प्यारे
और कहीं लड़ियों के फैले उजियारे
घर घर में कंदील सजे सुंदर सुंदर
रंगोली के रंग सजीले द्वारों पर
देखो जहाँ वहीं पर साफ सफाई है
रात सुहानी दीवाली की आई है
भले किसी के पास झोंपड़ी कच्ची है
पर मुस्कान खिली चेहरों पर सच्ची है
दीये और खिलौने खूब बनाये थे
उन्हें बेचने बाजारों में लाये थे
उनकी भी कुछ ज्यादा हुई कमाई है
रात सुहानी दीवाली की आई है
ग़म के तम में घिरा हुआ लगता जीवन
पग पग पर मिलती हैं उलझन ही उलझन
हम सपनों के पीछे भागे जाते हैं
अपनों को भी वक़्त नहीं दे पाते हैं
इसी बहाने थोड़ी फुर्सत पाई है
रात सुहानी दीवाली की आई है
24-10-2022
डॉ अर्चना गुप्ता