दीवारों के कान नही होते
सब कहते हैं
दीवारों के भी कान होते हैं
फिर दीवारों के नाम क्यों नहीं होते
दीवारों के मुंह क्यों नहीं होते
आंखें क्यों नहीं होती
हाथ पाऊं क्यों नहीं होते
सिर्फ कान ही क्यों होते हैं
और कहां होते हैं
और किसने देखें हैं दीवारों के कान
मैंने तो कभी नहीं देखा
कहीं भी नहीं देखा
गांव में भी नही देखा
शहर में भी नही देखा
रात में भी नही देखा
दोपहर में भी नही देखा
तो मैं कैसे मान लूं कि
दीवारों के भी कान होते हैं
सबके कहने से