दीवाने होते है शायर और कवि
किसी के दर्द से बाबस्ता वोह हो ,
जिसके सीने में धड़कता हुआ दिल हो ।
आज के मशीनी इंसान से कैसी उम्मीद ,
जिनके सीने में दिल ही न हो ।
किसी के गम में डूबना मतलब ,
उसके जज्बातों की गहराई में जाना ।
जिस पर न गुजरी हो कभी गम की हवा,
उस के लिए मुश्किल है इसे समझना।
किसी की पास इतना वक्त कहां,
जो आह पर दौड़ा आए ।
दुनियादारी निभानी थी निभा दी,
अब वो खुद ही हालातों से पेश आए ।
सच है यार ! अपने जिंदगी के ये सारे ,
साजो सामान खुद ही संभालने पड़ते है।
कोई कब तक साथ देगा ? और कितना ?
सारे रास्ते खुद ही अकेले तय करने होते हैं।
मगर कवि और शायर ऐसे निराले प्राणी है ,
जो अपने अंदर के इंसान को नहीं भूलते ।
आज के जमाने में वही तो है अनोखे ,
जो अपने जमीर की आवाज हैं सुनते ।
किसी भी इंसान के दर्द से उनको है वास्ता ,
कोई न भी बयान कर सके तो क्या ,
उनकी आंखों से पढ़ लेते है सारी दास्तां ।
एक गहन पीड़ा का अनुभव करते है ,
खुद को उसकी जगह रखकर ।
ढूंढ ही लेते है आखिर उनके जज़्बात तक ,
पहुंचने का रास्ता ।
कुछ कर न सके बेशक ,मगर,
एक हमराज ,हमदर्द बनना क्या काफी नहीं।
जरूरत होती है ना हर इंसान को ,
भले ही कोई गुरुर में इकरार करता नहीं ।
कवि या शायर की कल्पना दृष्टि की पूछो मत ,
कितनी दूर तक जा सकती है।
वो एक इंसान तो क्या ,एक जानवर भी क्या ,
एक फूल और पत्थर के मन को भी पढ़ सकती है।
दृश्य हो या अदृश्य उसकी नजर से कुछ छुपता नहीं,
जहां न पहुंच रवि वहां पहुंचे कवि ,
यूं ही तो किसी ने कहा नही ।
कवि / शायर असाधारण व्यक्ति के प्राणी होते है ।
तभी तो कहते आज के लोग ,
दीवाने होते है शायर / कवि