दीवाना बनाया है तुमने
**** दीवाना बनाया है तुमने ****
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कमर का कमरा बनाया है तुमने,
लटों में चाँदी को दिखाया है तुमने,
कमरों के दरवाजे खुले तुम रखना,
खुली बाँहों में हमें बुलाया है तुमने।
खुद को कभी न संभाला है तुमने,
दिल से कभी न निकाला है तुमने,
राहों में तेरी सदा चलते रहें हैं हम,
प्रतीक्षा कतारों में बैठाया है तुमने।
हालत है कैसी कोई तो बताये,
उनको न कोई पल भर न सताये,
हम तो सवाली उनके सदा दर के,
पर हर पल हमे जलाया है तुमने।
मनसीरत को तूने दीवाना बनाया,
खुद को हम से है बेगाना बनाया,
कोई दिन तो होगा हमारा तुम्हारा,
हर रोज हमें तड़फाया है तुमने।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)