दीवानापन हो मन में
आते-जाते हैं ग़म जीवन में,आँखें ना कर नम जीवन में।
बाधाएँ भी रोयेंगी इक दिन,दीवानापन हो बस मन में।।
संकटों का दौर है,मानो प्रचंड घोर है।
परीक्षाएँ हैं कड़ी,बचने का ना छोर है।।
निराशा ना पालिए,खुद को तू संभालिए।
अँधेरी हर रात की,होनी तय तो भौर है।।
आते-जाते हैं ग़म जीवन में,आँखें ना कर नम जीवन में।
बाधाएँ भी रोयेंगी इक दिन,दीवानापन हो बस मन में।।
चट्टानों को तोड़ दे,धारा अथाह कीजिए।
सबलता की ताल से,झरना प्रवाह लीजिए।।
जहाँ होती चाह है,वही निकलती राह है।
खुदी को अब साधिए,जीत उत्साह दीजिए।।
आते-जाते हैं ग़म जीवन में,आँखें ना कर नम जीवन में।
बाधाएँ भी रोयेंगी इक दिन,दीवानापन हो बस मन में।।
अकेला है आज तू,डरने की क्या बात है।
बढ़ा चल ले हौंसला,दिन है चाहे रात है।।
करोड़ों का साथ हो,हाथों में हर हाथ हो,
सफलता को पाइए,हासिल ये सौग़ात है।।
आते-जाते हैं ग़म जीवन में,आँखें ना कर नम जीवन में।
बाधाएँ भी रोयेंगी इक दिन,दीवानापन हो बस मन में।।
आर.एस.प्रीतम
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