…. दीवानापन छोड़ जाऊँगा !
दीवानापन छोड़ जाऊँगा !
// दिनेश एल० “जैहिंद”
भरत-सा अपनापन छोड़ जाऊँगा ।।
यादों में रहूँ प्रेमधन छोड़ जाऊँगा ।।
कृष्ण-सा कौतूहल दूँ मैं मुहल्ले में,,
वैसा अपना बचपन छोड़ जाऊँगा ।।
राँझा की तरह मैं जाना जाता रहूँ,,
मैं ऐसा दीवानापन छोड़ जाऊँगा ।।
माँ की साँसों में बसा रहूँ उम्र भर,,
के महकता लड़कपन छोड़ जाऊँगा ।।
आजाद-सा देशप्रेम देश की खातिर,,
थोड़ा यूँ मैं शौर्यपन छोड़ जाऊँगा ।।
राम के जैसा घर-घर सजता रहूँ,,
ऐसा अजूबा जीवन छोड़ जाऊँगा ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
10. 08. 2017