दीयो की मन की संवेदना
दीयो की मन की सवेंदना
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सभाल कर हमें जरा तुम उठाना,
दिवाली पर हमे तुमने जलाए थे।
हमने तो अपना वजूद जलाकर,
तुम्हारे लिए हर खुशियां लाए थे।
हमने ही कुम्हार का पेट पाल था,
उसने भी हमें तुम्हे बेच दिया था।
अब हम कहां जाए,जरा बताओ,
हमने तो दोनों का साथ दिया था।
खुद कर खुदाने से जो मिट्टी आई थी,
उसी मिट्टी से हमारी शक्ल बनाई थी
हमने तप कर कुम्हार का साथ दिया था,
उसने भी बेचकर हमें अलग कर दिया था।
हमने साथ दिया तेल बाती का,
हमने साथ दिया हर साथी का।
वे भी चले गए हम अकेले रह गए
पता नहीं वे अब कहां चले गए।।
लगता है हमें तुम हमें फैंक दोगे,
अपनी खुशी मनाकर तोड़ दोगे।
मिलेगी नहीं तुम्हे भी खुशी कभी,
अगर अच्छे मित्र को छोड़ दोगे।।
हमने निभाया साथ हर खुशी में,
शुभ कार्य किया तुम्हारे साथ मै।
सच्चा मित्र जो दुःख सुख साथ में
मत फैको हमें रखो अपने पास मे
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम