दीप
आलोक के अर्थात् का,दीप के दिव्यार्थ का।
तम से नव प्रकाश का, वैभव के आकाश का।
ज्योति-पर्व की शुभ बेला में,हर दीप की आस पुगे,
लक्ष्मी गणेश संग रहें सरस्वती,परिवेश हो सुभाष का।
नीलम शर्मा
आलोक के अर्थात् का,दीप के दिव्यार्थ का।
तम से नव प्रकाश का, वैभव के आकाश का।
ज्योति-पर्व की शुभ बेला में,हर दीप की आस पुगे,
लक्ष्मी गणेश संग रहें सरस्वती,परिवेश हो सुभाष का।
नीलम शर्मा