दीप वह फिर से जलेगा
दीप वह फिर से जलेगा…
युग-युगों से युग-युगों तक
सत्य के पथ पर निरन्तर
बांधने को तिमिर का क्षण
वह शिखर पर से ढ़लेगा
दीप वह फिर से जलेगा….
जो पराजित हो गये हो
वेदना से तप्त होकर
ज्योति अन्तर्मन जगाने
भीरुता को डट भगाने
वह शिखर तल पर चलेगा
दीप वह फिर से जलेगा…..
चेतना के रश्मि-रथ पर
जो सदा आरुढ़ होकर
वंचितों को हक दिलाने
क्रूरता का जड़ हिलाने
जो जला है वह जलेगा
दीप वह फिर से जलेगा……
क्रांति की झंकार झंकृत
क्षुब्ध, पीडित, सुप्त, जन में
लौह का मद चूर करने
शोषितों का शोक हरने
उदधि, अम्बर में हलेगा
दीप वह फिर से जलेगा…
डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)