दीप जले
अन्तर्तम को करे प्रकाशित, मन मन्दिर में दीप जले।
अपना-पराया भेद मिटा दे, जन-जन के हित दीप जले।
दिया नहीं है जिनके घर में, उनके घर में दीप जले।
नही दिया हैं घर भी जिनको, उनके दर पर दीप जले।
अंधकार के बाद उजाला, बतलाये सच दीप जले।
जो शहीद हो गये देशहित, उनको भी इक दीप जले।
जो उदास है इस जीवन से, उन्हे हँसाने दीप जले।
नहीं रास्ता भटके कोई, मार्ग दिखाने दीप जले।
अंधकार को सदा हटा दे, ऐसा भी इक दीप जले।
अहंकार अज्ञान मिटा दे ‘कौशल’ ज्ञान का दीप जले।