दीपावली
हम लाए हैं वो दीप जलाने के वास्ते।
दुनिया से सब अंधेरा मिटाने के वास्ते।
इसमें वफा खुलूस मोहब्बत की रौशनी।
इसमें हर एक शख्स के चाहत की रौशनी।
हर दर्द मंद के लिए राहत की रौशनी।
शर्म ओ हया ईसार ओ मुरव्वत की रौशनी।
फैले गी चारों सिम्त अखूवत की रौशनी।
सब के लिया यहां है जरूरत की रौशनी।
हम लाए वह चिराग जलाने के वास्ते।
दुनिया से सब अंधेरा मिटाने के वास्ते।
ऐसा चिराग जल के जो नफरत मिटाएगा।
हर एक दिल से अब की अदावत मिटाएगा।
खौफ ओ हिरास मुल्क से दहशत मिटाएगा।
रोशन करेगा इल्म, जिहालत मिटाएगा।
हम लाए हैं वो दीप जलाने के वास्ते।
दुनिया से सब अंधेरा मिटाने के वास्ते।
चेहरे पर खुशी होगी सब खुशियां मनाएंगे।
गम को भुला के आज सभी मुस्कुराएंगे।
कल बीत गया है जो उसे भूल जाएंगे।
मंजिल की तरफ अपने कदम को बढ़ाएंगे।
हम लाए हैं वो दीप जलाने के वास्ते।
दुनिया से सब अंधेरा मिटाने के वास्ते।
रोशन करें जमीन को जो आसमान को।
पुर नूर कर दे मुल्क के सारे मकान को।
हिम्मत जो बख्से मुल्क के हर नौजवान को।
रोशन करे “सगीर” जो सारे जहान को।
हम लाए हैं वो दीप जलाने के वास्ते।
दुनिया से सब अंधेरा मिटाने के वास्ते।