“दीपावली”
‘दीपावली’
कार्तिक अमावस की,सुनो हाल;
आई दिवाली , मच गया धमाल;
पटाखे फोड़ , सब करेंगे कमाल;
दीपों से सब , घर खूब सजाएंगे;
घर के द्वार पर , रंगोली बनायेंगे;
आकाशदीप भी ,घर पे लगाएंगे;
आज लड्डू पेड़ा सब ही खायेंगे,
पर्व ये धूम-धाम से सब मनायेंगे;
अपने दोस्तों को, आज बुलाएंगे,
सबही नए नए कपड़ों में आयेंगे;
अनार जला, ऐसा चक्र चलाएंगे;
हर कोने-कोने, प्रकाश फैलाएंगे।
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..✍️प्रांजल
….कटिहार।