दीपावली
कविता दीपोत्सव की है,, और होलिकोत्सव निकट है,,
तो दीपावली के दीपक को पुनः स्मरण करते हुए उस पावन अवसर पर स्वरचित कविता पुनः प्रकाशित!
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दिव्य-दीपक से दीपावली के,,
जगमग सारा संसार हो।
इस पावन-पर्व पर सबको,,
बधाई बारम्बार हो।।
धनतेरस से प्रारम्भ हो।
दूर सभी का दम्भ हो।।
धनी को ज्यौं-त्यौं मिले,,
निर्धन का भरे भण्डार हो।
इस पावन-पर्व पर सबको,,
बधाई बारम्बार हो।।
छोटी दीवाली पर छोटों से,,
प्रकाश सम स्नेह अपार हो।
इस पावन-पर्व पर सबको,,
बधाई बारम्बार हो।।
माँ पद्मधारिणी के आशीष से,,
बढे़ सुख-समृद्धि हो।
माँ वीणावादिनी के आशीष से,,
सबकी बुद्धि में वृद्धि हो।।
सबको गजानन बुद्धि दें,,
मिलें उन्हीं सम सबको विवेक हो।
माता लक्ष्मी की कृपा से ,,
रंकों का भी राज्य-अभिषेक हो।।
श्रीकुबेर सभी के धन की,,
सदा ही रक्षा करें।
इस पावन अवसर पर,,
पूर्ण सभी इच्छा करें।।
सुख-समृद्धि के निकट और,,
दुःख के सभी पार हो।
इस पावन-पर्व पर सबको,,
बधाई बारम्बार हो।।
खुशियाँ अविराम हो,,
दीपक से प्रज्वलित हर शाम हो।
गोवर्धन-पूजा पर सबको,,
मिलें स्वयं घनश्याम हो ।।
भाई-दोज के तिलक से,,
तेज सभी का मस्तक हो।
स्नेह हो असीम सदा,,
आए प्रसन्नता की दस्तक हो।।
हर क्षण-हर समय आपके,,
जीवन में चमत्कार हो।
इस पावन-पर्व पर सबको,,
बधाई बारम्बार हो।।
बधाई बारम्बार हो……. ✍️भविष्य त्रिपाठी