दीपावली**** ?
दीपावली आखिर आ ही गई। 15दिन से विशु के घर तैयारियाँ चल रही थी। 5 मज़दूर मिलकर पुताई ,रंग रोगन कर रहे थे। 3 बाईयां झाड़ू पौछा कर रही थी।क्या मज़ाल जो रत्ती भर भी धूल का कण कहीं नज़र आ जाये। श्रीमती बिशु (मेघना)को सब कुछ झकाझक चाहिए। बस सुबह काम बताया और वो रोज़ क्लब की गतिविधियों में लिप्त हो जाया करती। विशु आस्ट्रेलिया में दिन रात एक कर के काफ़ी अच्छा खासा कमा लेता था।
जब रात को क्लब से आती तो उसे सब कुछ व्यवस्थित मिलना चाहिए था। अन्यथा किसी पर भी गाज घिर सकती हैथी। आज ही विशु आस्ट्रेलिया से आने वाला है। क्लब में हाउजी का खेल खेला जाना है ,जिसमे पूरे वर्ष के बारे में आकलन लगाया जाता है कि वर्ष लाभ में जायेगा या हानि में। सो क्लब जाने के पहले बाई को ,नोकरो को सब कुछ समझा दिया जाता है। कि साहब के आने पर किसको क्या करना है। सभी कामगार मुस्तेदी से काम मे जुट गये,उनके साहब जो आने वाले थे ,पिछले साल भी दीपावली पर नहीं आ पाये थे। ड्राइवर एअरपोर्ट पर जा पहूँचा।
जैसे ही प्लेन रनवे पर उतरा ,बिशु ने फोन मिलाया ,मेघू किधर हो ….। मेघना ने जवाब दिया … अरे रुस्तम को भेजा है ,नम्बर यह *******786 पर बात कर लो ,वहीं मिल जाएगा। खैर बिशु ने नम्बर मिलाया…. हाँ साहब मैं इधर ही हूँ… आप बाहर निकलोगे वैसे ही मिल जाऊंगा.. नीली शर्ट में हूँ….। बिशु बाहर आया … गाड़ी में बैठा कुछ खालीपन सा लगा….।जैसे तैसे घर आया।
घर पर मेघना को नहीं पाया तो फोन लगाया .. अरे किधर हो …क्या लेने गई हो….।अरे यार यह क्लब में प्रोग्राम था तो इधर आ गई थी।। अभी आई घण्टे भर में तब तक आप रेस्ट कर लो।
और बिशु ……रेस्ट मॉड पर आ गया।।
क्रमशः….
कलम घिसाई