दीपावली
दीपावली का पर्व प्रकाश का पर्व है। यह आत्म- साक्षात्कार का भी अनूठा अवसर है। यह अपने अंदर सुषुप्त चेतना को जागृत करने का अनुपम अवसर भी है ।
विवेक,प्रेम ,सत्य ,सदभाव ,त्याग,परोपकार ,करुणा ,सहयोग आदि सात्विक शक्तियां जो हमारे अंदर निहित है ,उसे जागृत करने व सक्रिय करने के लिए दीपों का उज्जवलमय एवं तेजोमय प्रकाश आवश्यक है ।अंधकार पर विजय प्राप्त करने के लिए उजाले का शक्तिशाली होना आवश्यक है। इसलिए हम उजालों के अनुयायी बनें ,जिंदगी को उज्ज्वल बनाएं ।ऐसी जिंदगी ही हमारे घर -परिवार एवं समाज के लिए अनुकूल है। दीपक की ज्योति हमेशा ऊपर की ओर उठी रहती है, उसी प्रकार हमारा जीवन एवं हमारी प्रवृत्ति भी सदैव उन्नत बनी रहनी चाहिए । इसी भावना से सामूहिक दीप प्रज्वलन करने की हमारी समृद्ध परंपरा रही है।
अंतर्मन में उज्ज्वल प्रकाश भरने के साथ-साथ बहिर्मन अर्थात पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ बनाने के लिए जागरूकता का संदेश देने वाला यह दीपोत्सव है।
दीपावली के मौके पर प्रायः हम अपने घरों की साफ- सफाई करते हैं । उसे विविध प्रकार से सजाने एवं संवारने का कार्य करते हैं । परंतु अपना घर ही नहीं बल्कि संपूर्ण पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की हमारी चिंता होनी चाहिए। केवल अपना घर साफ कर और घर के बाहर गन्दगी का ढेर लगाकर हम स्वच्छ एवं स्वस्थ नहीं रह सकते। घर एवं आस- पास के कचरों का सही निपटान हमारी सामयिक चुनौती है। पर्यावरण को पॉलीथिन एवं प्लास्टिक मुक्त बनाना स्वच्छता के मार्ग में अहम कदम है ।इस भयावह समस्या के निवारण हेतु सामूहिक चिंतन करने के लिए दीप- पर्व सुयोग्य अवसर प्रदान करता है।
आइए , प्रकाश पर्व दीपोत्सव के अवसर पर हम पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए अपनी गन्दी आदतों का त्याग करने का संकल्प लें। मन के भीतर चेतना के आंगन में जमे हुए कलुषित कर्म के कचरों को बुहार कर साफ करें ।अपने जीवन को अनुराग,संयम, सद्भाव एवं सात्विक आचरणों से सजाने एवं संवारने का प्रयास करें । अपनी आत्मा को विचार रूपी निर्मल एवं निष्कलुष रोशनी वाले दीपक से आलोकित करें।