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21 Oct 2019 · 2 min read

दीपावली — लघु कथा

दीपावली — लघु कथा

सुबह का समय था रामलाल शहर की ओर निकलने वाला ही था कि उसकी पत्नी बोला अजी सुनते हो सोनू आपको क्या कह रहा है ।रामलाल ने बोला – क्या बोल रहा है जी ? उनके पत्नी ने बोला आप खुद ही पूछ लो। सोनू क्या बात है बेटा! सोनू ने बोला – पापा- पापा मेरे दोस्त सभी के पास नए नए कपड़े हैं मेरे पास फ़टे पुराने कपड़े है ।सुना हूं आप बाहर जा रहे हैं मेरे लिए नए कपड़े खरीद के लाना ।बिल्कुल सोनू बेटा आपके लिए मैं नया कपड़ा लाऊंगा और दीपावली के लिए आपको नया भेंट करूँगा। इतना सुनते ही सोनू खुशी के मारे उछल गया। रामलाल शहर की ओर निकल गया शहर में देखा दिवाली के फटाके जैसे लोग बंदूक बम की गोली का आवाज चल रहा था। लोगों में अफरा-तफरी मची थी शहर में कर्फ्यू लगा था पुलिस के अलावा सड़क पर सुनसान एक भी व्यक्ति नजर नहीं आ रहे थे।सोचने लगा सुना शहर में खरीदारी करने आया हूं। मेरे बेटे के लिए कपड़ा खरीदने आया हूँ।अफरा-तफरी मची है उसी बीच रामलाल को पुलिस पकड़ कर ले गई धारा 144 लागू था रामलाल को आतंकवादी है कर जेल में डाल दिया गया। खूब उसको पूछताछ की गई खूब मार पड़ी रामलाल को अंत में पता चला रामलाल एक सीधा साधा आदमी था। गांव का भोला भाला हैं कहके छोड़ दिया गया। तत्पश्चात दीपावली समाप्त हो गई थी ।उसकी बीवी बच्चे इंतजार कर रहे थे ।जब घर वापस लौटा तो सब मायूस बैठे थे ।रामलाल ने शहर का पूरा हाल चाल बताया ।उसकी पत्नी और उनके बच्चे सुनकर स्तब्ध हो गए हैं और उनकी दीपावली खुशी से नहीं मना पाए इनको दीपावली की खुशी का गम नहीं था ।परंतु उनके उस कहानी सुनकर उनके पापा को वापस आने पर देखकर लोग खुशी जाहिर की है और फिर उसके परिवार खुशी से जीवन बिताने लगा।
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रचनाकार डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पिपरभावना, बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822

Language: Hindi
1 Like · 2321 Views
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