दीपावली मनाइए
दीपावली मनाइए
घर-घर दीप जलाइए
तम को दूर भगाइए
दीपावली …………
हाज़िर देसी पान है
जिया हुआ हलकान है
क्या सुन्दर पकवान है
मधुर स्वाद मिष्ठान है
जगमग हर दूकान है
खील-बताशे खाइए
दीपावली …………
मुश्किल का रुख़ मोड़िये
सारी दुविधा छोड़िये
मिथ्या भ्रम को तोड़िये
दिल से दिल को जोड़िये
खूब पटाखे फोड़िये
फुलझड़ियाँ सुलगाइए
दीपावली …………
जय हो लक्ष्मी-शारदे
ख़ुशियों का उपहार दे
दर्द हमारे तार दे
मस्ती भरी बहार दे
और हमें विस्तार दे
बेड़ा पार लगाइए
दीपावली …………