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11 Nov 2020 · 1 min read

दीपावली पर ग़ज़ल

चलो दीपावली का पर्व सब मिलकर मनायें
अमावस पूर्णिमा की रात जैसे जगमगायें

दिये कुछ प्रेम के ऐसे जलायें हम दिलों में
वहाँ पर नफरतों के तम कभी भी घिर न पायें

पटाखों के धुओं सा गम उड़ा दें ज़िन्दगी से
दिलों के द्वार पर खुशियों की रंगोली बनायें

डुबों दें मीठी मीठी बातों का रस ज़िन्दगी में
सुगंधित पुष्पों से अपने सभी रिश्ते सजायें

करें सब ‘अर्चना’ अपने ही घर की लक्ष्मियों की
उन्हें सम्मान देकर मात लक्ष्मी को मनायें

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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