दीपावली पर ग़ज़ल
चलो दीपावली का पर्व सब मिलकर मनायें
अमावस पूर्णिमा की रात जैसे जगमगायें
दिये कुछ प्रेम के ऐसे जलायें हम दिलों में
वहाँ पर नफरतों के तम कभी भी घिर न पायें
पटाखों के धुओं सा गम उड़ा दें ज़िन्दगी से
दिलों के द्वार पर खुशियों की रंगोली बनायें
डुबों दें मीठी मीठी बातों का रस ज़िन्दगी में
सुगंधित पुष्पों से अपने सभी रिश्ते सजायें
करें सब ‘अर्चना’ अपने ही घर की लक्ष्मियों की
उन्हें सम्मान देकर मात लक्ष्मी को मनायें
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद