दीपावली: दीप प्रज्वलन “अंतर्मन में”
करे कर्मो का अनूठा दीप प्रज्वलन,
तम रूपी दनुज का उन्मूलन।
महीप सीतापति का आगमन,
मुमुक्षु और वैभव का आह्वान।
दीपक का मयूख प्रतीक है आस,
सूक्ष्म तरणि का अनुपम विश्वास।
वसुंधरा का नूतन ज्योति से श्रृंगार,
विभावरी में आलोक का प्रसार।
हर्ष विषाद चित्त के विकल्प,
कौशल्यानंदन विजयपथ के संकल्प।
भूपति राघव आत्मीक शौर्य के प्रतीक,
मर्यादापूर्ण शील के रूपक।
भारतीय संस्कृति का वैशिष्ट्य,
उत्सव का ह्रदयगम प्राकट्य।
अल्पना के विपुल बहिरंग,
इहलोक में हरिवल्लभा के आविर्भाव के संग ।
आस्था का प्रकाशवान,आनंदमय पर्व,
आदरयुक्त मंगलभावना उत्तरोत्तर विकास के संग।