*”दीपदान”*
“दीपदान”
दीपमालिका की पंक्तियों में ,
जगमग दीप जले।
झिलमिलाते हुए लौ में ,
सितारों की चमक खिले ।
घर आँगन देहरी तुलसी चौरा में ,
तमों का रूप गले।
नदियों तीर्थ स्थलों मंदिरों में ,
टिमटिमाते दीप जले।
हिलते डुलते बहते जल में ,
अनगिनत रोशनी मिले।
कार्तिक मास व्रत जप तप में,
सुख समृद्धि से अंतर्मन खिले।
आत्म समर्पण श्रद्गा भक्ति में,
आनंद शुभ मंगल दीप जले।
पाप पुण्य संचय करते कर्म में,
दूसरों को भी पुण्य लाभ मिले।
कार्तिक मास हवन पूजन जप साधना में ,
दीप प्रज्वलित महोत्सव से अक्षय ऊर्जा मिले।
दिव्य ज्योति दीप जलाकर ,
दीर्घायु सकल मनोरथ पूर्ण सौभाग्य मिले।
शशिकला व्यास