दीपक
हिन्दी काव्य-रचना संख्या: 239.
शीर्षक: “दीपक”
(रविवार, 28 अक्तूबर 2007)
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मन में विश्वास जगाए दीपक,
ईक आश नई जगाए दीपक |
शाम ढले तो आए दीपक,
हवा चले तो घबराए दीपक ।।
मैं थका तो हूँ
पर हारा नहीं
सुखद अहसास जगाए दीपक।
राह अंधेरी
जगमग हो मंजिल
पथ-प्रदर्शक बन जाए दीपक।।
खुद को मिटा
औरों की खातिर
जीना-मरना सिखाए दीपक।
परवानों का प्रेम देख
शीतल अग्न जलाए दीपक।।
घर – आँगन महकाए दीपक,
सूरज जगा फिर जाए दीपक |
शाम ढले तो आए दीपक
सबको सीख सिखाए दीपक।।
– सुनील सैनी “सीना”
राम नगर, रोहतक रोड़, जीन्द (हरियाणा)-१२६१०२.